

कतरास।।झारखंड सरकार के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राजगंज थाना प्रभारी अलीशा कुमारी का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई बोकारो के कालिकापुर निवासी प्रदीप कुमार रे की शिकायत के आलोक में की गई है।
शिकायतकर्ता ने अलीशा कुमारी द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे आरक्षण का लाभ लेने का आरोप लगाया था। इस मामले को लेकर प्रदीप कुमार रे ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। कोर्ट ने मामले को जाति छानबीन समिति को भेजने का निर्देश दिया था।
विवादित प्रमाण पत्र संख्या Jhcc/2017/229784 अलीशा कुमारी को तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी, डुमरी द्वारा निर्गत किया गया था। इसमें उन्हें “बनिया (पिछड़ा वर्ग-2)” के रूप में दर्शाया गया था, जबकि जांच में सामने आया कि अलीशा का परिवार जामताड़ा पंचायत, डुमरी, गिरिडीह का स्थायी निवासी नहीं है।
जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि अलीशा के पिता ने वर्ष 1986 में जामताड़ा क्षेत्र में जमीन खरीदी थी, जिस पर दस वर्ष पूर्व मकान बना और उसे किराए पर दे दिया गया। हालांकि परिवार खुद उस स्थान पर कभी स्थायी रूप से निवास नहीं किया।
जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने के लिए अलीशा द्वारा स्वयं-घोषित शपथ-पत्र और पुराने दस्तावेजों का सहारा लिया गया था, जिन्हें सत्यापित करने के बाद समिति ने प्रमाण पत्र को अमान्य पाया।
समिति की ओर से अलीशा कुमारी को 10 फरवरी और 25 अप्रैल 2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए पत्र भेजा गया था। 25 अप्रैल को अलीशा कुमारी और शिकायतकर्ता प्रदीप रे, दोनों अपने अधिवक्ताओं के साथ समिति के समक्ष उपस्थित हुए और पक्ष रखा।
पर्याप्त साक्ष्यों एवं स्थायी निवास प्रमाण के अभाव में झारखंड राज्य की जाति छानबीन समिति ने अलीशा कुमारी को राज्य की स्थानीय निवासी मानने से इनकार करते हुए उनका जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया।